ताकत का इमतिहान

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एक बार मुल्ला अपने कुछ दोस्तों के साथ गांव की चैपाल पर बैठा था। उनके बीच इस बात पर विचार हो रहा था कि जवानी से लेकर अब तक उनके अंदर ताकत को लेकर कितना परिवर्तन आया है, कोई बात कर रहा था कि वह कितना समझदार था, कोई बात कर रहा था कि वह कितना कमजोर था। तब नसरूदीन ने कहा, ’’ न केवल मैं उस समय समझदार था, बल्कि आज भी हूं, और न केवल मैं उस समय ताकतवर था, बल्कि आज भी हूं। मुल्ला के दोस्तों ने कहा, ’’ क्या वाकई’’ मुल्ला ने कहा, ’’ हां, मैं तो इसे आजमा भी चुका हूं।’’ मुल्ला के दोस्तों ने कहा, ’’ वो कैसे?’’ मुल्ला ने कहा, ’’ मेरे घर के बाहर एक चट्टान है, मैं अपनी जवानी में भी उसे नहीं उठा पाता था और आज भी उसे नहीं उठा पाता हूं।