
बादशाह का तोता

एक धार्मिक व्यक्ति था जिसने तोते पालने की कला सीखी थी। वह अपने आकर्षण से तोते पकड़ता, उन्हें शिष्टाचार सिखाता और फिर उन्हें ऊंचे दामों पर रईसों को बेच देता। इसलिए एक दिन वह व्यक्ति अकबर के दरबार में आया और उसे एक तोता भेंट किया। अकबर ने एक सेवक को आदेश दिया कि वह तोते की बहुत सावधानी से देखभाल करे और तोते के साथ किसी भी बुरी घटना की खबर उसे न दे। लेकिन पर्यावरण के बदलाव के कारण तोता बीमार हो गया और मर गया। बेचारे सेवक को चिंता हुई और उसने सोचा कि अब अकबर उसे सज़ा देंगे क्योंकि तोता बादशाह के बहुत करीब था। वह तुरंत मदद के लिए बीरबल के पास गया। तब बीरबल ने अकबर को यह खबर देने का बीड़ा उठाया। उसने अकबर को बताया कि उसका तोता एक संत बन गया है- जो सिर्फ ऊपर देखता है, न खाता है और न ही हिलता है। अकबर तुरंत तोते के पास गया और पाया कि वह मर चुका है। उसे बीरबल की चतुराई और अंत में अपनी गलती का एहसास हुआ।