
बीरबल का न्याय

एक दिन बीरबल ने बादशाह अकबर को सुझाव दिया कि अगर कभी उनसे कोई गलती हो जाए तो अकबर को चाहिए कि वे बीरबल को ही अपनी सज़ा तय करने के लिए जूरी चुनने दें। एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन जब बीरबल ने कुछ गलत किया और उसे सज़ा मिलनी थी, तो अकबर ने वादे के मुताबिक उसे जूरी चुनने दिया। बीरबल ने अपनी सज़ा तय करने के लिए 5 मोचियों को बुलाया। वे अकबर की मदद करके बहुत खुश हुए लेकिन उन्हें यह बदला लेने का एक बहुत अच्छा मौका भी लगा क्योंकि बहुत पहले बीरबल ने उन सभी को धोखा दिया था। पहले मोची ने बीरबल से 150 सोने के सिक्कों का जुर्माना भरने को कहा। दूसरे मोची ने सोचा कि यह बहुत बड़ी रकम है और इससे उसके परिवार पर असर पड़ सकता है, इसलिए उसने मूल राशि से 20 सिक्के कम कर दिए। यहां तक कि दूसरे मोची भी जुर्माने को कम करते रहे और अंत में बीरबल पर केवल 40 सोने के सिक्कों का जुर्माना लगाने का फैसला किया गया। अकबर समझ गए कि बीरबल ने अपनी सज़ा क्यों चुनी क्योंकि एक मोची के लिए साल में 20 सिक्के भी बहुत बड़ी बात है, इसलिए इस तरह बीरबल ने खुद को एक बड़ी सज़ा से बचा लिया।